हम फूल हमारी महक थी तुम
हम पंछी हमारी चहक थी तुम
हम वफ़ा हमारी भूल थी तुम
फूलों से लिपटी शूल थी तुम
फूलों से लिपटी शूल थी तुम
बंद आँख की एक आस थी तुम
दिल को लगा कि पास थी तुम
साँस उखड़ा उखड़ा जाता अब
ज्ञात हुआ वही आखरी साँस तुम
ज्ञात हुआ वही आखरी साँस तुम
भूल हुई जो लाखों में एक समझा
तुम्हारी हर बदी को नेक समझा
अब चलने का समय हो गया पर
जीने का अटल विश्वास थी तुम
1 टिप्पणी:
बहुत खूब
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