मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

SAVE बिजली

मैंने पुरे माह दिये से काम चलाया
चंद तेल की बुँदे घर था जगमगाया
बल्ब जलाया बस ढूढने के लिए दिया
बिल जब आया माथा चक्री बना दिया
अब घर में बिजली का होना न होना है
आये कल यही पुराणी सदी का सोना है
चलो उठायें बस्ते खम्बो के तले चले
शायद महापुरुषों से नंबर हमे मिले
वर्ना हमारी खोज हमे लील जायेगी
दुनिया फिर से पत्थर रगड़ खायेगी


  

1 टिप्पणी:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बिजली तो सबको ही बचानी होगी।