छोटे कब तक छोटे रहते बड़े नही होते
जब तक वक्त के थपेड़े पड़े नही होते
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अब्बा हमारे अब्बा हुए हमारे आने के बाद
अब्बा हम भी बनेगे बस उनके आने के बाद
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अब्बा जाने को तैयार थे कहीं शहर से बाहर
हम इधर घर में घुसे जड़ दिये थप्पड़ चार
छूकर गाल हमने पूछा कारण तो समझाइये
बोले वर्षफल कल है तुमेह इनाम नही चाहिये
इनाम में चटका दिए क्या कोई कारण खास
बोले अपने खून इक बार में होता कहाँ है पास
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2 टिप्पणियां:
बहुत बढिया.
सावधान ! ये अन्दर की बात है.
बहुत ख़ूब
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