रविवार, 21 अप्रैल 2013

तुम हाँ कहो या ना कहो


पलकों पर बिठा कर रखूंगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

अपने दिल में छुपा कर रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

तुमने ही समझा गैर हमे
अपने लिए तुम अपने हो
जो छोटा सा सपना देखा
वो पूरा होते सपने हो
सपनों को संजोये रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगा, तुम हाँ कहो या ना कहो

तुमने शर्तों पर प्यार किया
प्यार नही व्यापार है वो
प्यार में जो कीमत मांगे
प्रेम का एक गुनहगार वो
गुनाहों से बचा कर रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो
  
मोती कब किस सीप मिले
आशाओं का कब दीप जले
दिल हमने तो एक बार दिया
प्यार में सब कुछ हार दिया
उस हारको जीता रखूंगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो

कभी तो धड़के तेरा दिल
आजाये चल कर खुद मंजिल
रिश्ता अपना यूँ सागर संग
लहरों सा मचले तेरा दिल
मझदार में कश्ती रखूंगा    
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो   

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