मेरे क्यूँ नैन बहते हैं कोई तो आकर ये पूछो
तड़प कैसी जगी इनमे कोई उठा कर तो पूछो
ये चाहते गुनगुनाना है किसे पर ढूंढ़ते हैं ये
सरगम यूँही छिड जाए जो तुम आकर ये पूछो
दिखे जो ग़म तुम्हारे संग तो कैसे नैन मुस्काएं
दुआ बस तेरी खुशिओं की खुदा से जाकर ये पूछो
घर दर की इन्हें चाहत कोई कान्धा नही मिलता
ये चाहते हैं ठहर जाएँ अगर मुस्कुरा के तुम देखो
प्यार में छलछला जाते ख़ुशी अपनी दिखाने को
वफा से पहले लगे बा या लगे बे के बाद वफा
एक से जिंदगी मिलती दूजी से तबाह समझो
प्यार की बेल को देखो दिनोदिन बढती जाती है
बिना ही खाद और पानी, ज़रा लगा के तुम देखो
सागर में तरसता सीप बूंद एक मीठी पाने को
मोती हर बूंद बन जाये तड़प जगा कर तो देखो
मेरी दीवानगी हद ने मुझे जला कर रखा है
चाह थी चाँद पाने की छुपा सूरज ने रखा है
तड़प कैसी जगी इनमे कोई उठा कर तो पूछो
ये चाहते गुनगुनाना है किसे पर ढूंढ़ते हैं ये
सरगम यूँही छिड जाए जो तुम आकर ये पूछो
दिखे जो ग़म तुम्हारे संग तो कैसे नैन मुस्काएं
दुआ बस तेरी खुशिओं की खुदा से जाकर ये पूछो
घर दर की इन्हें चाहत कोई कान्धा नही मिलता
ये चाहते हैं ठहर जाएँ अगर मुस्कुरा के तुम देखो
प्यार में छलछला जाते ख़ुशी अपनी दिखाने को
अगर यकीं नही तुमको प्यार लुटाकर तब पूछो
एक से जिंदगी मिलती दूजी से तबाह समझो
प्यार की बेल को देखो दिनोदिन बढती जाती है
बिना ही खाद और पानी, ज़रा लगा के तुम देखो
सागर में तरसता सीप बूंद एक मीठी पाने को
मोती हर बूंद बन जाये तड़प जगा कर तो देखो
मेरी दीवानगी हद ने मुझे जला कर रखा है
चाह थी चाँद पाने की छुपा सूरज ने रखा है
2 टिप्पणियां:
वाह बहुत खूब लिखा है आपने ...समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
http://aapki-pasand.blogspot.com/
बेहद खूबसूरत कविता..
एक टिप्पणी भेजें