कलम कवि की
कलम कवि की
सोमवार, 16 जनवरी 2012
अपराजिता
करुणा
बन अपराजिता
अर्पण कर
समर्पण जगा
बेल सी लिपट
वृक्ष निगल गई
2 टिप्पणियां:
प्रवीण पाण्डेय
ने कहा…
सुन्दर प्रस्तुति।
16 जनवरी 2012 को 7:35 pm बजे
Unknown
ने कहा…
सुन्दर
16 जनवरी 2012 को 8:58 pm बजे
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2 टिप्पणियां:
सुन्दर प्रस्तुति।
सुन्दर
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