शुक्रवार, 3 जनवरी 2014

छोटे से घरोंदे, उन्मुक्त परिंदे

एक ख्वाब सा देखा था छोटे से घरोंदे का
जीवन जीता जिसमे उन्मुक्त परिंदे सा

जहान मुझको नाही जाने ना मै जहान को जानू
तुमको ही देखू हर पल अपना जहान मै मानू
मौसम सिमटते जायें तुमको यूँ अंग लगाएं
नशा ऐसा छाए मुझ पर बस तेरे होने का    
एक ख्वाब सा देखा था छोटे से घरोंदे का

एक ख्वाब सा देखा था छोटे से घरोंदे का
जीवन जीता जिसमे उन्मुक्त परिंदे सा

हुस्न तेरा बस यूँ दमके हूरें भी उतर आयें
खुले गेसू छुए कंधा सागर भी मचल जाये    
चेहरे पर तेरे शिकवा ना कोई शिकन तक हो
ढूंढे भी ना मिले हम लुत्फ़ अपने खोने का
एक ख्वाब सा देखा था छोटे से घरोंदे का

एक ख्वाब सा देखा था छोटे से घरोंदे का
जीवन जीता जिसमे उन्मुक्त परिंदे सा

कोई टिप्पणी नहीं: