मुझको न समझाया किसी ने ना ही था बतलाया
चढा मै घोड़ी अंतिम हंसी संग बीबी रोती लाया
रास्ते भर सोचता आया संगनी क्यूँ थी रोती
सबको गले लगाती चलती मुझे देख चुप होती
पूछा सबसे है पहली शादी वजह मुझे बतलाओ
सबने दी सांत्वना कहा समय पर जग जायो
धीरे धीरे समय चला समझ मुझे सब आया
स्वंम मारने कुलाह्डी पर पैर था घर मै लाया
शेर सी दहाड़ अब मेरी म्याऊं म्याऊं ही होती
पूंछ ना थी पर जब घर जाता पूंछ दबी होती
चारों धाम लगती बीबी ना चाहते हँसते रहते
अपनों ने था दिया धोखा अंजाम हम सहते
सब ने तब समझाया हमको ये जीवन पहेली
सर ना उठाना सामने बस समझो उसे सहेली
स्वर्ग नरक होते न होते बात कभी ना करना
कर्मो का फल हर कोई पाता सर माथे धरना
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें