शनिवार, 4 जनवरी 2014

मेरी भौर हो गयी


देखो मेरी भौर हो गयी
 
एक डाली पर चिडिया चहके
दिवार सहारे तुम

ना चहकना वो भूलती
ना ही चहकना तुम

उसके सुर
या तुम्हारे सुर
ना कुछ अंतर विशेष है
 
बस तुम दोनों की चहक
मेरा हर दिवस में प्रवेश है

 मौसम बांध सके ना दोनों
ना दोनों की मीठी बोली

 उठ जा अब न तोड़ चारपाई 
देख धूप चहुँ ओर हो गई

देखो मेरी भौर हो गयी

 

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