मंगलवार, 26 नवंबर 2013

इश्के दरिया


साकी और मैखाना, एक जाम और पैमाना
ये साथी हैं जीने के बिन इनके मर जाना
दुनिया वालों सुन लो अफसाना ये दिल का
यार दिल में छुपा बैठा अब उसे बुलाना ना
इश्क में इस कदर डूबे ख़ामोशी का दरिया
गम हो उससे जुदा खुशियाँ तुम बरसाना

हर कुचे हर गली से जा पहुंचोगे उसके दर
पता तुमको हमको सबको है  ना बतलाना
जो मंजिल हमने चुनी कोई चुनके तो देखे
ये इश्के दरिया है बस तरना और मर जाना

कोई टिप्पणी नहीं: