आज इक बार फिर याद हो आया
नही किया जिसके लिए था आया
अंतिम अहसान बदले अहसास
चादर देखो पाँव निकल आया
नही किया जिसके लिए था आया
तेरा मेरा लगा रहा चलने तक
उसे ना तेरा ना मेरा ही पाया
आज सभी वो साथ दिख रहे
मीलों पीछे जिन्हें छोड़ आया
कश्ती में छेद पर सरपट दौड़ती
पानी का भेद समझ ना आया
तुम ही तुम मस्तिष्क पर जमे
तुम तुम हो चला समझ आया
वो अहसास जो लबालब भरे
देखो हाथ सब यहीं छोड़ आयाअंतिम अहसान बदले अहसास
चादर देखो पाँव निकल आया
आज इक बार फिर याद हो आया
नही किया जिसके लिए था आया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें