कुछ मिले
पेट में अगर तब ही मैं गा पाता हूँ
बीते कलमकार पाते थे रीता मै रह जाता हूँ
देसी कलम विदेशी लेखनी चलती
दोनों समबीते कलमकार पाते थे रीता मै रह जाता हूँ
लिखा उनका गहरा जमता मेरा समझें कम
शब्द वही उस युग के अर्थ ना
उनसा पाते हैं
चले
गये याद आवें मैं हूँ कौन यह पुछवाते हैं
बट वृक्ष युग बतलावें
कलयुगी मुझसा देखें ना
आशिस दो राजीव को युग पुनः
खेंच लाऊं हाँ
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