तेरी आँखें न हो नम, हमने ग़म तेरे चुरा लिये
काबा काशी हो आये, मुस्काये तू ये दुआ लिए
तुमने गैर बनाया हमे, सरेआम रुसवा किया
राजीव है अदा प्रेम की, सोचकर मुस्कुरा लिए
काबा काशी हो आये, मुस्काये तू ये दुआ लिए
तुमने गैर बनाया हमे, सरेआम रुसवा किया
राजीव है अदा प्रेम की, सोचकर मुस्कुरा लिए
2 टिप्पणियां:
वाह ..बहुत खूब
सुन्दर..वाह..
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