तुम रूठ गये हमको ख़ता का पता ना चला
तन्हा थे तन्हा हुए ना शिकवा ना कोई गिला
पखेरू हुए दिन संग के, जीना है अब बिन मन के
तेरा आना जन्नत जैसा पर जाना दोजख सा खला
उम्मीदों का दामन् हमने अब भी है थामा हुआ
नजरों पर कब्ज़ा तुम्हारा कतरा-ए-आँसू खला
वो कसमे वो वादे तुम्हारे हमने गीतोँ में थे उतारे
अब गीत सभी हमको बेमानी बेमतलब लगा
नफरत है अगर तुमको, क्यूँ सपनों में आते हमारे
दीवाना कहे सबसे कोई मौत से दे अब मिला
तन्हा थे तन्हा हुए ना शिकवा ना कोई गिला
पखेरू हुए दिन संग के, जीना है अब बिन मन के
तेरा आना जन्नत जैसा पर जाना दोजख सा खला
उम्मीदों का दामन् हमने अब भी है थामा हुआ
नजरों पर कब्ज़ा तुम्हारा कतरा-ए-आँसू खला
वो कसमे वो वादे तुम्हारे हमने गीतोँ में थे उतारे
अब गीत सभी हमको बेमानी बेमतलब लगा
नफरत है अगर तुमको, क्यूँ सपनों में आते हमारे
दीवाना कहे सबसे कोई मौत से दे अब मिला
2 टिप्पणियां:
बेहतर लेखन !!
बहुत ख़ूब कहा है
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