रात पर न दोष मढो दिन भी है समान
पाप पुण्य करने को हैं यह दोनों मकान
रात ढकती अँधेरे से दिन छुपाता काम
आंख खुली पर न दिखे ये जग जहान
भ्रमित रहे अंतर्मन दोष सके ना जान
समझ फेर बुद्धि फिरें बनता है भगवान
अपना ह्रदय आत्मा से बस देख जहान
राजीव समझ आए तब दूर हो दुष्काम
पाप पुण्य करने को हैं यह दोनों मकान
रात ढकती अँधेरे से दिन छुपाता काम
आंख खुली पर न दिखे ये जग जहान
भ्रमित रहे अंतर्मन दोष सके ना जान
समझ फेर बुद्धि फिरें बनता है भगवान
अपना ह्रदय आत्मा से बस देख जहान
राजीव समझ आए तब दूर हो दुष्काम
1 टिप्पणी:
वाह, सुन्दर।
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