शनिवार, 18 दिसंबर 2010

माटी मिला

दुनिया से कूच की चाह ने उनके हाथ को होठों पर ला दिया
प्यार जिन होठों से निकलना चाहता था उनपर जमा गया
वाह बनाने वाले तुने किस मिटटी से बना कर सजाया इसे
ना जीता है माटी मिला और ना मरने पर माटी मिलता है  

2 टिप्‍पणियां:

Sunil Kumar ने कहा…

आपके व्लाग पर पहली बार आया हूँ बहुत सार्थक रचना पढने को मिली वैसे" माटी मिला" शब्द का का प्रयोग हैदराबाद में ज्यादा क्या जाता है बहुत बहुत बधाई

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

दर्शन सीधा सा।