मंगलवार, 14 दिसंबर 2010

इश्के दरिया

प्याला भरा है  सामने, यारों आओ अंजाम दो
राजीव इश्के दरिया ये चूमो डुबो और जान दो

वो जिनसे सब मिलने को तरसते हैं
हम हैं जो उनकी आँखों में बसते हैं

1 टिप्पणी:

रंजना ने कहा…

वाह....
वाह....
वाह....