शुक्रवार, 29 मार्च 2013

भ्रष्ट ईमान

ईमान अब शैतान हो गया है
भ्रष्ट  हो  महान हो गया है
कुछ ही वर्ष बीते ये कमीना
भेजे से धनवान  हो गया है

शुरु में यह डरता था ऐसे
पकड़ा गया करेगा कैसे  
अब तो पकड़ने वालों का
रस्ता ए धनवान हो गया है

शरीफों की तरह जी रहा था
रस नफरतों का पी रहा था
सृष्टी पर देखो तो लोगों  
बोझ आसमान हो गया है 

बदनाम का नाम हो रहा है
भ्रष्ट हो कर रिश्ते खो रहा है 
बन गया है यह कलंक ऐसा
छुटने का ना नाम ले रहा है 

4 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बेहद उम्दा ... सादर !

आज की ब्लॉग बुलेटिन 'खलनायक' को छोड़ो, असली नायक से मिलो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

क्या से क्या हो गया,
आया था, खो गया।

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना | पढ़कर आनंद आया | आभार

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

sundar.. behtar..:)