रविवार, 3 मार्च 2013

स्वयं

अपनी शक्सियत कुछ अजीब है
ख्याल के ही ख्यालों में रहता हूँ
स्वयं लिखता हूँ स्वयं सुनता हूँ
स्वयं ही मुस्का कर दाद देता हूँ
स्वयं के लिए ही जीता जाता हूँ
स्वयं ही स्वयं मरता जाता हूँ
स्वयं को छोड़ कदम बढाता हूँ
स्वयं को स्वयं से अलग पाता हूँ



 

2 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .आभार सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति..