तुम्हारी बेवफ़ाई तुम्हारे काम ना आई
मोहब्बत हमारी, उसे कम ना कर पाई
कुछ ऐसा तो करो मोहब्बत से डर लगे
वर्ना नफ़रत मोहब्बत को देगी बधाई
हमे शौक नही है मोहब्बत करने का
पर पता ना चला कम्बखत कब आई
कसम तुम्हारी तुमसे कोई शिकवा नही
है दिल में छुपी किसी को ना नज़र आई
मोहब्बत हमारी, उसे कम ना कर पाई
कुछ ऐसा तो करो मोहब्बत से डर लगे
वर्ना नफ़रत मोहब्बत को देगी बधाई
हमे शौक नही है मोहब्बत करने का
पर पता ना चला कम्बखत कब आई
कसम तुम्हारी तुमसे कोई शिकवा नही
है दिल में छुपी किसी को ना नज़र आई
3 टिप्पणियां:
बहुत खूब..
बेहतरीन कविता बधाई
वाह .. क्या बात है ...
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