गुरुवार, 7 फ़रवरी 2013

मोहब्बत

तुम्हारी बेवफ़ाई तुम्हारे काम ना आई
मोहब्बत हमारी, उसे कम ना कर पाई
कुछ ऐसा तो करो मोहब्बत से डर लगे
वर्ना नफ़रत मोहब्बत को देगी बधाई

हमे शौक नही है मोहब्बत करने का
पर पता ना चला कम्बखत कब आई
कसम तुम्हारी तुमसे कोई शिकवा नही
है दिल में छुपी किसी को ना नज़र आई 
 

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत खूब..

Unknown ने कहा…

बेहतरीन कविता बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह .. क्या बात है ...