कलम कवि की
कलम कवि की
सोमवार, 21 जून 2010
भ्रमित जीवन
हर क्षण मानव एक भ्रमित जीवन में पलता
सचाई से दूर स्वयं अपने आप को चलता
सुख सुविधायं साथी सारे
क्षण भंगुर के नाती प्यारे
खाली हाथ आया पथिक तू
खाली हाथ ही चलता
हर
क्षण
मानव
एक
भ्रमित
जीवन
में
पलता
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