कलम कवि की
कलम कवि की
रविवार, 6 नवंबर 2016
विचार
पर्वत पर कहाँ फूल खिलें
कहाँ वृक्ष बढे चट्टानों में
आज जिंदगी बोल रही
शांत हुए शमशानों में
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