आखरी साँस आने को है पर कोई अपना न आया
गुनाह इतने किये रहा उम्रभर अकेलेपन का साया
हर तत्व इस शरीर का अपने अपने में जा मिला
पर माटी को माटी ने अब तक ना था अपनाया
अहसास कुछ होने लगा माँ का दिल था दुखाया
निर्जीव जीव पड़ा रहा बिन माता पिता का साया
अपने किये हर गुनाह की सजा को तैयार हूँ मै
मरकर भी ना मरूँगा बिन माँ की गोद का साया
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