गुरुवार, 22 नवंबर 2012

इंतजार

क्यूँ मेरे दर्द का अहसास नही, 
दिल तुम्हारा तुम्हारे पास नही 
खो गये वो जुबां के लफ्ज़ कहीं 
जुदाई का होगा न निशान कहीं

हम थे कभी पर आज हम न हैं
तुम और मै थे पर हम हम न हैं
भरोसे का दायरा तुमने समेटा
हम तो वहीं हैं पर धूल ने लपेटा

इंतजार है क्यूँ तुम फिर आओगे
सब भूल मुझमे फिर सिमट जाओगे
मरेंगे नही बस इतना याद रखना
शरीर खामोश, आँख खूली पाओगे


4 टिप्‍पणियां:

PAWAN VIJAY ने कहा…

बेहतरीन पंक्तिया है

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत खूब..

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति
बहुत बहुत सुभकामनाएँ के साथ स्वागत है नई पोस्ट :"काश ! हम सभ्य न होते" http://kpk-vichar.blogspot.in