रविवार, 21 अप्रैल 2013

तुम हाँ कहो या ना कहो


पलकों पर बिठा कर रखूंगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

अपने दिल में छुपा कर रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

तुमने ही समझा गैर हमे
अपने लिए तुम अपने हो
जो छोटा सा सपना देखा
वो पूरा होते सपने हो
सपनों को संजोये रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगा, तुम हाँ कहो या ना कहो

तुमने शर्तों पर प्यार किया
प्यार नही व्यापार है वो
प्यार में जो कीमत मांगे
प्रेम का एक गुनहगार वो
गुनाहों से बचा कर रखूँगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो
  
मोती कब किस सीप मिले
आशाओं का कब दीप जले
दिल हमने तो एक बार दिया
प्यार में सब कुछ हार दिया
उस हारको जीता रखूंगा
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो

कभी तो धड़के तेरा दिल
आजाये चल कर खुद मंजिल
रिश्ता अपना यूँ सागर संग
लहरों सा मचले तेरा दिल
मझदार में कश्ती रखूंगा    
तुम हाँ कहो या ना कहो

पलकों पर बिठा कर रखूंगातुम हाँ कहो या ना कहो   

सोमवार, 15 अप्रैल 2013

बाबा बजरंगी

जय बजरंगी बाबा बजरंगी
इस दुनिया में ना तुमसा संगी

तुम राम को प्यारे
राम ह्रदय तुम्हारे
जो तुमको ध्यावे
कोई कष्ट ना पावे
भक्ति में तुमसा ना कोई संगी

जय बजरंगी बाबा बजरंगी
इस दुनिया में ना तुमसा संगी

जो तुम्हे पुकारे
तुम उसके द्वारे
ओ पवनपुत्र तुम
तुम अंजनी प्यारे

तुम जिस घर आओ ना हो कोई तंगी
जय बजरंगी बाबा बजरंगी
इस दुनिया में ना तुमसा संगी

तुमने सब त्यागा
ओ बजरंगी बाबा
अपने मन बांधा
प्रभु राम का धागा
अयोध्या राजा के भ्राता संगी

जय बजरंगी बाबा बजरंगी
इस दुनिया में ना तुमसा संगी

रावण जैसे के
तुम हाथ नही आते
पर लव कुश बालक
तुम्हे बांध सताते
तुम सब कुछ जानो दुनिया बदरंगी

जय बजरंगी बाबा बजरंगी
इस दुनिया में ना तुमसा संगी

बुधवार, 10 अप्रैल 2013

प्रभु हनुमान


संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

जब बन बन भटके राम
किये तुमने ही सारे काम
बचाये लक्ष्मण जी के प्राण

संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

ढूंढी सीता सागर लांघ
भस्मी लंका तुम तमाम
अंजनी माई की तुम जान

संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

ना कोई है तुमसा बलवान
ना कोई सेवक तुम समान  
बुद्धी में काटो हो कान

संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

जपे जो कर में तेरो नाम
उसके डर का काम तमाम
ह्रदय में रहे तेरो ही ध्यान

संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

देके सर्व सुख चारों धाम  
मिटा असुरों का नामोनिशान
जिनके ह्रदय बस्ते राम   

संकटमोचनजी हनुमान बनाते सबके बिगड़े काम
तुमेह हम शीश नवाते हैं बदन सिंदूर लगाते हैं

रविवार, 7 अप्रैल 2013

तुम


हम फूल हमारी महक थी तुम
हम पंछी हमारी चहक थी तुम
हम वफ़ा हमारी भूल थी तुम
फूलों से लिपटी शूल  थी तुम 
बंद आँख की एक आस थी तुम
दिल को लगा कि पास थी तुम 
साँस उखड़ा उखड़ा जाता अब
ज्ञात हुआ वही आखरी साँस तुम 
भूल हुई जो लाखों  में एक समझा 
तुम्हारी हर बदी को नेक समझा
अब चलने का समय हो गया पर 
जीने का अटल विश्वास थी तुम 

गुरुवार, 4 अप्रैल 2013

चंद विचार


छोटे कब तक छोटे रहते बड़े नही होते
जब तक वक्त के थपेड़े पड़े नही होते

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अब्बा हमारे अब्बा हुए हमारे आने के बाद
अब्बा हम भी बनेगे बस उनके आने के बाद

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अब्बा जाने को तैयार थे कहीं शहर से बाहर
हम इधर घर में घुसे जड़ दिये थप्पड़ चार
छूकर गाल हमने पूछा कारण तो समझाइये
बोले वर्षफल कल है तुमेह इनाम नही चाहिये
इनाम में चटका दिए क्या कोई कारण खास
बोले अपने खून इक बार में होता कहाँ है पास

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मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

SAVE बिजली

मैंने पुरे माह दिये से काम चलाया
चंद तेल की बुँदे घर था जगमगाया
बल्ब जलाया बस ढूढने के लिए दिया
बिल जब आया माथा चक्री बना दिया
अब घर में बिजली का होना न होना है
आये कल यही पुराणी सदी का सोना है
चलो उठायें बस्ते खम्बो के तले चले
शायद महापुरुषों से नंबर हमे मिले
वर्ना हमारी खोज हमे लील जायेगी
दुनिया फिर से पत्थर रगड़ खायेगी