मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

संभालो मुझको

तुम भरे भरे से रहते हो
बिन बोले सब कहते हो

खुश होते तब भी बहते हो
दुःख में भी संग रहते हो

सागर से लगे रिश्ता गहरा
छलके लगे मोती है ठहरा

कभी मिलाई कभी जुदाई
बिन तुम्ह्रारे कभी न आई     

भोले भाले नयन हमारे
कभी कुछ न कहते हो

निकलते और बहते हो
भीड़ है तन्हा रहते हो

नयन बसे संग नयन रहे
संग ले न तुम बहते हो

ईन मोतियों को कैद किया
पर आज़ाद सदा ही बहते हो

कितना गहरा नाता तुम संग
संग आते संग ही रहते हो  

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